विवाहेत्तर संबंध आजकल चलन में हैं। ये संबंध बनाने वाले बड़े गर्व से इन्हें अपनी उपलब्धि के रूप में प्रस्तुत करते हैं (हालाँकि दबी ज़ुबान में)। एक बार मेरे एक मित्र ने कहा, "अपन ने भी एक ढूँढ ली है!" जब मैंने उसे याद दिलाया कि उसकी (मित्र की) तो शादी हो चुकी है, तो वो बड़ी बेफ़िक्री से बोला, "हाँ, घरवाली अपनी main supply line है; बाहरवाली तो battery backup है।" मैंने उसे चेताया, "बचके, बेटा, कहीं तेरी घरवाली ने भी कोई बाहरवाला backup न ढूँढ लिया हो।" ये सुनकर मित्र के चेहरे पर अचानक तनाव आ गया, शायद सोच रहा था कि मेरी बात कहीं सच न हो जाए।
यही लोगों का दोगलापन है―चाहे स्त्री हो या पुरुष―:ख़ुद अय्याशी करने के लिए, गुलछर्रे उड़ाने के आज़ादी चाहिए; और वही काम उनका साथी करे, तो आगबबूला हो जाते हैं। ख़ुद के प्रेम में कोई प्रतिबद्धता(commitment) नहीं, लेकिन पति/पत्नी में कोई अवगुण स्वीकार नहीं। यानि बिना निवेश मोटा मुनाफ़ा चाहिए।
बस एक बात याद रखिए: battery backup के चक्कर में एक दिन main supply line कट गई, तो जीवन में अँधेरा हो जाएगा। वैसे भी, बैटरियाँ ज़्यादा चलती नहीं। आप सोचते होंगे कि बैटरियों की कौन सी कमी है। लेकिन, एक फोन की तरह, आप भी तो धीरे-धीरे एक पुराने मॉडल बनते जाएँगे। और पुराने मॉडलों की बैटरियाँ या तो मिलती नहीं या महँगी मिलती हैं और कम चलती हैं।